कितना बड़ा सच या कहिये शक्ति ,कितने सीधे शब्दों मे बतायी है, ना? जिंदगी मे हम जो चुनाव करते है ,जो फैसला लेते है, वो ही हमारी शक्सियत को सही /यथार्थ तरीके से बताता है\\ कितनी ही बार हम अपने आप को जिंदगी के दो राहे पर पाते है और हमे चुन ना होता है किसी एक को और मन मे होता है "राह कौन सी जाऊ मैं ?"
जिंदगी का यही दो राहा हम को बनाता है या बिगाड़ता है\\
सही और गलत के बीच चुनाव करने कि काबिलियत हम सब मे है पर हर बार यह बात इतनी सीधी नही होती ,कई बार ऐसी हजारो उलझने ,मुसीबतें होती है जिन मे सही क्या और गलत क्या ये मालूम होते हुवे भी सच और सही का चुनाव करना आसान नही रहता\\ ऐसे वक़्त मे जो सही का साथ दे और मुश्किलों से ना डरे ,वह अपनी शक्सियत कि मर्यादा को लांघता है --और नयी उचाईयों को छूता है\\ Transcending our own limits to acquire new abilities ,to attain new heights created by our own virtuosity......
साथ कोई साधन नही ,नही कोई अपना ,सिर्फ अपना होसला और हिम्मत -एक नया आसमान बनाने कि -और इसी लगन मे जो निकल पड़ते है और अपने सपनो मे,फैस्लो मे विश्वास करते है ,उन्ही मे से असामान्य जन्म लेते है, जो आनेवाली हर सदी को प्रेरणा देते है - शायद उन्ही मे से एक का नाम " stephen Hawking" होता है जो अपनी शरीर कि / विकलांगता कि हर मर्यादा लांघता है \\ शायद उन्ही मे से एक -A.P.J.Abdul kalam नाम का रामेश्वर मे रहने वाला एक साधारण परिवार का बेटा होता है जिन पे आज भारत वर्ष कि जनता को नाज़ है\\
शायद उन्ही मे से कोई एक गरीब इन्सान अपनी लगन और मेहनत से "धीरूभाई अम्बानी" नाम को एक ऐसा रुतबा देता है जिस से "रिलायंस" नाम का अरबो का व्यवहार जन्म लेता है\\ डाक्टर अभय और रानी बंग जैसे इन्सान जन्म लेते है जो सिर्फ और सिर्फ दूसरो के लिए जीते है\\\
हाँ,ये सारे असामान्य है --सिर्फ उनके फैसलो और चुनावो कि बदौलत ...........हाँ, ये सारे कुछ और होते अगर ये कुछ और चुनते या परिस्थिति से संघर्ष ना करते\\\ इसीलिये मुझे वह पंक्ति बहोत भाती है क्यो के वह वो सच्चाई बताती है जिसमे सामान्य को असामान्य बनने कि शक्ति है,उर्जा है,प्रेरणा है \\
हम मे से हर एक मे अपनी मर्यादा लांघने कि ,उचाईयों को छूने कि ताकत है -बस फैसले कि देर है\\\
" धरती को बौनों कि नही,
ऊंचे क़द के इंसानों कि जरूरत है -
ऊंचे क़द के इंसानों कि जरूरत है -
इतने उंचे कि आसमान छुले,
----(आखरी पंक्तियाँ श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी कि" उंचाई" कविता से )\\