Friday, May 16, 2008

आयी बहारे झूम के







सर्दियों का बर्फीला मौसम गुजर चुका, सर्द हवाए बीत गयी, ठिठुरती , ठंडी रुत बीत गयी और झूम के बहारे आ गयी \ अब तक वसंत ऋतू के बारे मे बस सुना ही था, कल्पनाए ही की थी पर जब देखा तो बस देखते ही रह गए ....ओहो , क्या खुबसूरती हर जगह छाई है , फूल ही फूल हर जगह खिले है, हरियाली ही हरियाली है \ जिस ओर नज़र दौडाओ मुस्कुराते नजारे है, झूमती बहारे है \ मेरा छोटासा सा शहर खिल गया, रंगो मे नहा लिया \ हर दिल मे नये अरमान जगानेवाला , हर डूबते दिल मे नयी आस बंधानेवाला खुश गवार मौसम आख़िर आ ही गया \ सर्दियों मे ६ महीने बिताकर जैसे पेड़ पौधे भी हमारी ही तरह थक गए थे\ अपने पत्ते खोकर भी सर्दियों मे खूबसूरत लगनेवाले पेड़ भी अब बेसबरी से वसंत की राह देख रहे थे......मेरा यह पहला ही वसंत और उसके आने की हलकी सी आहट ने ही ख़बर दे दी आनेवाले नजारों की \ यहा के हर फूल का नाम तो नही पता मुझे पर खुबसूरती नाम की मोहताज तो नही होती ना !!!! आप सब के साथ बाटना चाहूंगी यहा की खुशिया, चलो आप सब को दिखाती हूँ यहाँ के प्यारे फूल , अनछुई कलियाँ \\ आप जो भी तस्वीरे अभी देखेंगे वो सारी मेरी प्यारी सहेली सरिता के सौजन्य से है\ और ये सारी तस्वीरे मेरी university की है \ हमारा खिलता हुआ गुलशन देखिये और आप भी हमारी तरह ही झूम जाइये \







7 comments:

Anonymous said...

Hey =)
even if I can't read it, I like your photos very much!
visit my travel blog to-be:
www.katrin-uwp.blogspot.com

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर चित्र हैं. हमारे यहाँ अभी यही मौसम हुआ है.

Dr Parveen Chopra said...

अपनी सखी को कही कि नेट पर उस के द्वारा खींची गईं फोटो को 10/10अंक मिले हैं....आप भी पोस्ट के साथ इतनी उम्दा फोटो डालने का सिलसिला जारी रखिये। बहुत अच्छा लगा।

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर वसन्त,सुंदर चित्र।

सई said...

wonderful!!l can guess how heavenly happyness must be there in ur hearts!!u r a very good writer!!l din't know ur this facet..its marvellous!!keep it up!!

निशांत मिश्र - Nishant Mishra said...

गौरीजी, आपने मेरे ब्लॉग http://hindi-vichar.blogspot.com पर अपना comment दिया जिसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ. आपका ब्लॉग मैंने देखा, अच्छा है. चित्र बहुत खूबसूरत हैं. मेरे ब्लॉग पर आपके comment में आपने ठीक लिखा है कि "मैंने ऐसा क्यों किया" बहुत दुखभरे शब्द हैं, पर "ऐसा हो सकता था" इनसे बहुत अलग नहीं हैं. वैसे भी मैंने इंग्लिश विचार का शब्दशः अनुवाद किया था. खैर, आशा है कि आप अपने ब्लॉग पर हमें हमेशा अच्छा पढाती-दिखाती रहेंगी.

ramanand said...

tya fulanchya gandha koshi!