Thursday, November 1, 2007

Contemplation

As we grow, we become harsh with people b'coz of prejudices or b'coz of their past mistake.For single mistake/misbehaviour committed in past,we hold them guilty & treat them badly,lifelong. we never give them a chance to correct themselves & even don't give chance to ourselves to forget and forgive. Many people even do not remember the mistake for which they treat others harshly!!!!! so,when we meet,even professionally, the conversation turns into an altercation, unnecessarily. Why can't we give people a chance, one fair chance, atleast to correct & prove themselves? rather why can't we give ourselves a fair chance toforgive & accept people as they are?
Our minds/perspectives are never pure or without prejudices,though we presume ourselves to be just.How can people change for us when we are not ready to change for anyone? sometimes when you want to avoid/stop a bitter talk but you can't & to add to that , you have to act as acatalyst so that situation doesn't get worse & you can't take any one's side as you are well conversant with both,what would you do? I suggest --not to comment on anyone ,but say to yourself--be true & say,atleast for myself i'll not try holding people guilty for things done in past. Let me give someone a fair chance so that someone else can give me one, if needed & i'm sure that many people are there who hold us guilty of past. Everyone of us has people with prejudices abt him/ her. It depends on us how we deal with them so that the future is not bitter....let's give a chance to ourselves' if not to others & try to the best of our ability to bring harmony to ourselves.........Let's give ourselves a fair chance to have a fair vision.............................

Sunday, August 26, 2007

सपनो की उड़ान -भारत से अमेरिका तक !!!!!

सपने इन्सान से ना जाने क्या क्या करवाते है, मुझे ही देख लीजिये - एक सपने के पीछे अपने वतन से हजारो मिल दूर परदेस मे हूँ , अपने ख्वाबों को साकार करने के लिए
\ मेरी नयी दुनिया मे आप सब का स्वागत है
आज इस नयी दुनिया मे कदम रखे मुझे २१ दिन बीत गए है, फिर भी हर रोज वही नयी चेतना, नयी संवेदना महसूस करती हूँ सुबह यहा भी अनागीनत ख्वाबों के साथ आती है
७ अगस्त को भारत और अपने दिल के करीब रहनेवाले कई अपनों को, दोस्तो को अलविदा कहा है मैंने- वतन छोड़ते वक़्त क्या महसूस हुआ था ये तो शब्दो मे बयाँ करना नामुमकिन है हाथो से हाथ छूटे थे, आंसू से आंखें भर भर आती थी पर अपने सपनो को जीने कि ख्वाहिश हौसला और उम्मीद और बढाती एअरपोर्ट कि धान्द्ली, हसते , हसाते चहरे, छुपाये हुए आँसू, छूटे हुए हाथ और अपने आप से कीये हुए कितने ही वादे, इन्ही के साथ चल रही हूँ उन सब कि याद होंठों पर मुस्कराहट ले आती है
यहाँ भी- अजनबियों को देस मे- अपने मिल गए है, जिंदगी आसान है, खुश है Independence and interdependence -is the virtue of life !!!!! हर पहलू से जिंदगी बदल रही है, जिंदगी को समझने का सब से बेहतरीन मौका मिला है यहाँ अपनी जिम्मेदारियों को खुद उठाना ये अपने आप मे ही स्वयम पूर्ण अनुभव है ऐसे कई व्यक्तित्व यहाँ मिले जिन्हे देख कर लगा शायद ये ना मिलते तो जीवन कही अधूरा रह जाता -क्यो के उनके अनुभव , उन्हों ने झेली हुयी कठिनाईया और उनकी जीत बहोत प्रेरक है नये रिश्ते बनाना , नए दोस्त, नयी दुनिया बनाना और उसे सींचना -खुबसुरत है पराये चेहरों मे भी अपने मिलने लगे है, मेरे सपनो के गुलिस्ता खिलने लगे है मेरी ही तरह और भी कई दुसरे मुल्कों से आये हुए लोगो से पहचान हुई है, उनको जान ना भी बेहतरीन है
अपनी नयी पहचान, अपने आप कि तरफ देखने का नया नया नजरिया मिल है कामयाब तो होना ही है- हौसले बुलंद है और हिम्मत भी है ये रास्ते मेरी मंजिलों का पता बताते है, और हम अकेले भी नही- कारवा हमारे साथ है I feel as if I am given the best opportunity to grow as a person-moment by moment. I am blessed as I have the opporunity to enrich my world with myriad experiences-twists and turns, I am happy that I will be able to see and face the world as it comes to me- without any prejudices , I am glad that I have found my people in an unknown country and I am sure that my dreams will come true for My Very Own Country !!!!

Thursday, June 14, 2007

सलोना सावन //

एक गर्म सी दोपहर थी आज -पसीने से हालत खराब हो रही थी -हवा भी गर्म ही थी और अचानक ........जोर कि हवाये बहने लगी - रस्तो पर जमी धुल झट से हटाने लगी, फूल पत्तो के साथ साथ प्लास्टिक कि थैलियों को भी पर लग गए और आस्मान मे धुल, कपडे ,फूल, पत्ते, प्लास्टिक कि थैलिया सब का जमघट लग गया -गर्म सी हवाओ ने अपना अंदाज़ बदला , और ठंडे झोको मे तफदिल हो गयी , अभी तक रूक रूक के चलने वाली ट्राफिक भी जोर से भागने लगी, बारिश कि पहली झलक पाने को जिन्दगी तरसने लगी //
वाह, क्या नजारा था, नीले आसमा मे सावरे बादल छा गए और हर एक दिल मुस्कुरा उठा // बादलो के साथ साथ आसमा मे पंछी भी तैरने लगे, तितली से लेकर चिडिया तक झूम कर ऊंची उड़ाने भरने लगे// गुल मोहर कि खुबसुरत लाल पंकुडिया गोल गोल घूमती हुई जमीन को चूमने लगी ,और लाल रंग कि मखमली बिछायत जमीन पर सजने लगी // कोयल ने भी तान सुनाई और बारिश कि पहली बूँद धरती पर आयी//
वो बूँद तन को छूकर मन मे जा बसी// हर उदासी मिट गयी , बहारो के साथ साथ ख़ुशी आ गयी// बिजली ने भी खूब शोर मचाया , कारे बादलो के हर सू अंधेरो मे, गहरा उजाला छाया// क्या बताऊ ,कितना खुश गवार मौसम था, बूंदो के साथ उठती हर सरसराहट के साथ ख़ुशी के नयी लहेर दौड़ती थी, मानो बारिश न्योता देकर बस मुझे पुकारती थी// रस्तो के आईने बन गए, नन्ही नन्ही कलियों से फूल खिल गए//
देखते ही देखते सारा समां बदल गया, तन और मन कि तपन बुझाने सलोना सावन आ गया // सलोना सावन आ गया///

Sunday, May 27, 2007

कोई ऐसा तो हो \\

कोई एक इन्सान तो ऐसा हो हमारे रिश्तों मे - जो बिना कोई इल्जाम दिए, बिना कोई सवाल पूछे हमेशा हमारे साथ चलता रहे ,इतना विश्वास करे हम पर-- के उसका विश्वास हमारे अन्दर कि अच्छायी को बरकरार रख सके\
कोई एक इन्सान तो हो जो हमारे वजूद पर सवाल ना उठाये\ कोई एक इन्सान तो हो जो हमे हमारी हर बुरायी ,हर गलती के साथ स्वीकार कर सके\ कोई ऐसा तो हो, जो हमारे लिए दुनिया के विरूद्ध खड़ा हो सके, कोई ऐसा तो हो\
कोई ऐसा इन्सान तो हो जिसके गोद मे सर रख कर हम हर दुःख भुलाये चैन कि नींद सो सके\ कोई ऐसा हाथ तो हो जो हमे हलके से सहला दे और हमारा हर दुःख बिसरा दे\ कोई ऐसा तो हो जो बेगरज भरपूर प्यार दे, सहारा दे \ जिसे देख कर घनी छाव का एहसास हो \ जिसे देख कर अपनी जिंदगी से प्यार हो \ कोई ऐसा तो हो\
कोई ऐसा तो हो , जिसमे हमारी गलतियों को माफ करने कि ताकत हो \ ऐसा कोई जो उन गलतियों को बार बार याद दिलाकर हमे दुखाता ना हो \
कोई ऐसा जो हमे कभी अपने से दूर ना करे या हम दूर चले गए तो वापस बुलाने मे देर ना करे \\ जिसकी एक मुस्कराहट हमे जितने का हौसला दे सके\और उसका सहारा हमे हार स्वीकार करने कि और फिर लढने कि हिम्मत दे सके \ कोई ऐसा तो हो जो " वो हमारे विश्वास को नही तोडेगा ", इस विश्वास पे कायम रह सके\\ काश कोई ऐसा तो हो, काश कोई ऐसा तो हो \काश किसी के लिए हम ऐसे हो, हम ऐसे ही हो \\\\

Sunday, May 6, 2007

चुनाव हमे करना है\\

मेरे दोस्त-पुष्कर के हर मेल के अंत मे एक पंक्ति होती है ,जो Harry Potter किताब से है - Albus Dumbledore -Harry से कहते है- "It is our choices Harry that show what we truly are, far more than our abilities।"

कितना बड़ा सच या कहिये शक्ति ,कितने सीधे शब्दों मे बतायी है, ना? जिंदगी मे हम जो चुनाव करते है ,जो फैसला लेते है, वो ही हमारी शक्सियत को सही /यथार्थ तरीके से बताता है\\ कितनी ही बार हम अपने आप को जिंदगी के दो राहे पर पाते है और हमे चुन ना होता है किसी एक को और मन मे होता है "राह कौन सी जाऊ मैं ?"
जिंदगी का यही दो राहा हम को बनाता है या बिगाड़ता है\\

सही और गलत के बीच चुनाव करने कि काबिलियत हम सब मे है पर हर बार यह बात इतनी सीधी नही होती ,कई बार ऐसी हजारो उलझने ,मुसीबतें होती है जिन मे सही क्या और गलत क्या ये मालूम होते हुवे भी सच और सही का चुनाव करना आसान नही रहता\\ ऐसे वक़्त मे जो सही का साथ दे और मुश्किलों से ना डरे ,वह अपनी शक्सियत कि मर्यादा को लांघता है --और नयी उचाईयों को छूता है\\ Transcending our own limits to acquire new abilities ,to attain new heights created by our own virtuosity......

साथ कोई साधन नही ,नही कोई अपना ,सिर्फ अपना होसला और हिम्मत -एक नया आसमान बनाने कि -और इसी लगन मे जो निकल पड़ते है और अपने सपनो मे,फैस्लो मे विश्वास करते है ,उन्ही मे से असामान्य जन्म लेते है, जो आनेवाली हर सदी को प्रेरणा देते है - शायद उन्ही मे से एक का नाम " stephen Hawking" होता है जो अपनी शरीर कि / विकलांगता कि हर मर्यादा लांघता है \\ शायद उन्ही मे से एक -A.P.J.Abdul kalam नाम का रामेश्वर मे रहने वाला एक साधारण परिवार का बेटा होता है जिन पे आज भारत वर्ष कि जनता को नाज़ है\\
शायद उन्ही मे से कोई एक गरीब इन्सान अपनी लगन और मेहनत से "धीरूभाई अम्बानी" नाम को एक ऐसा रुतबा देता है जिस से "रिलायंस" नाम का अरबो का व्यवहार जन्म लेता है\\ डाक्टर अभय और रानी बंग जैसे इन्सान जन्म लेते है जो सिर्फ और सिर्फ दूसरो के लिए जीते है\\\

हाँ,ये सारे असामान्य है --सिर्फ उनके फैसलो और चुनावो कि बदौलत ...........हाँ, ये सारे कुछ और होते अगर ये कुछ और चुनते या परिस्थिति से संघर्ष ना करते\\\ इसीलिये मुझे वह पंक्ति बहोत भाती है क्यो के वह वो सच्चाई बताती है जिसमे सामान्य को असामान्य बनने कि शक्ति है,उर्जा है,प्रेरणा है \\

हम मे से हर एक मे अपनी मर्यादा लांघने कि ,उचाईयों को छूने कि ताकत है -बस फैसले कि देर है\\\
" धरती को बौनों कि नही,
ऊंचे क़द के इंसानों कि जरूरत है -
इतने उंचे कि आसमान छुले,
नए नक्षत्रों मे
प्रतिभा के नए बीज बो ले
\\\\"
----(आखरी पंक्तियाँ श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी कि" उंचाई" कविता से )\\

We do fail ......

We do fail... yes ,we do .... we do fail when we never want an incident to happen and it happens making us helpless...... we do fail when we realise a relation is lost-we wanted it to work but it never worked....we wanted that dear one to stay but let it go and we and that one just moved on.....sometime... someone other wanted to hold us dear and we failed to realise that......

We fail when someone we never want to depart.... leaves us and never returns....I never wanted my grandmother to leave me so early but she deserted me and i fail when i try to stop her memories fill my eyes.......tears just roll down everytime.....

We fail in taking those memories out of our mind and heart......memories of loved ones we never wanted to lose but lost them anyways...... either they moned on or we didn't care moving on....no one bothered to stop......

We fail to apologise when we understand how badly we hurt someone......we go upto them to say sorry but wall of glass stands between our words and lips and we...... we fail to understand that some one may go miles away if we don't speak up our mind,don't express how we care.....

And it's other way round also........ we consider ourselves to be an integral part of someone's life and never see that whatever we are putting on ,never existed !!!!! We fail to understand that we are non- entity in someone's life- we were ready to sacrifice our life,pleasure,position for........ We fail to see the reality !!!!!

Still,it's beautiful to be here...... know why,atleast we do not fail in moving on and letting that pain to abate....we don't fail in making new relations and make them work ...... atleast we do not fail in gathering that courage to live....though empty at heart and still with a beautiful smile on face to let others laugh with us..................and with a hope that we will not fail again !!!!!!!!!!!!!!!

Wednesday, April 25, 2007

What does it take to enjoy and be happy ???

It was just another hot afternoon in summer,temperature above 40 degree celcius each day !!! so,naturally,to cool down and to make everyone chill at home,i went to buy icecream today and what i saw there was just fun !!!! A group of ladies,around 15-20 in number, most of them in their mid 40's, were there to have ice-cream and to my surprise, these ladies were freaking out,literally !!! In the middle of ice-cream shop,these ladies were laughing full voice,shouting,playing pranks on each other,were commenting and even a bit of ridicule to add to their enjoyment !!!! Utter chaos !!!! Even the shopkeeper and owner were stunned to see those ladies !!!! They were enjoying just like any one in his/her late teens would do,really, doing all the things as we all do when we are with our friends !!! Everyone seemed very very happy and though i was not the part of the group,i enjoyed just being there !!!! For those moments, the bearing of "age" and "social behaviour" ,was not there,what was there -was sheer and boundless enjoyment !!!!
That time,i thought ,it's upto our will -how much we enjoy ,how much we embrace a moment and make the fullest of it to be happy.We regret we lost our childhood,our teens and all fun ,all leisure,all laughter and yes,the long happy hours spent with friends too... But these women at their fourtees,each with woes and worries at home ,may be at heart,still enjoying those small,little cheers of life reminded me-age,work ,worries cast no obstacles if we really wish to enjoy......Many a times ,it does not require anyone else when we start enjoying ourselves and the circumstances....It's really us- the creator of happy times and memories as well.... It does not take anything more than our wish to create cheerful moments for ourselves and may we involve others in being happy too !!!!! We must not wait for someone else or a particular situation to make us happy or to enjoy but must give ourselves that freedom to create such smiling moments out of any situation that comes across us!!!! Bestow laughters on ourselves,we deserve them !!!!!!!

Tuesday, April 24, 2007

अपने से अलग एक दुनिया !!!

अपने आप में ही जीनेवाले हम लोग है,हम हर बार अपने आप को और शायद सभी को ये ही जताते है कि हम कितने अच्छे है ,सब का ख़्याल रखते है, सब के बारे में सोचते है ,खुद कि उलझनों के बावजूद भी ,देखो, हम कितना दूसरो के लिए जीते है !!!! क्या सच मुच हम ऐसा करते है कभी ?पूछकर देखिए अपने आप से ,आप का जवाब क्या है !!! सच कहे तो रोज मर्राह कि जिंदगी और भागदौड़ में हम अपने आप को याद नही रख पाते है तो दूसरो को क्या याद रखेंगें?? हम भूल जाते है कि हम से अलग ,हम से परे एक बेहद खुबसुरत दुनिया पलती है ,एक और दुनिया बसती है , जीती है \ हमारी ही तरह किसी और कि साँसे चलती है,धड़कने गूंजती है \
इस दुनिया मे बसने वाले हम सब कही ना कही अपने से लोगो कि तलाश मे होते है , प्यार कि ,ख़ुशी कि तलाश में होते है और इस तलाश में ये ही भूल जाते है कि जिस चीज कि खोज में,उसके इंतज़ार में हम आंखें बिछाए बैठे है वो हमारे ही पास है ,शायद दूसरो मे बाटों तो हमे भी मिल जाये \ हाँ, ख़ुशी और प्यार बाट ने कि चीज़ है ,अगर आप अपने लिए चाहते हो तो बाटों इन्हें ,या कहे लुटाओ इन्हें \\ इस जहा मे माँग ने वाले बहोत है, देनेवाला कोई नही \ दर्द देनेवाले बहोत है, दर्द बाटने वाला कोई नही \ तो क्यो ना हम अपने आप के लिए कोई मुकम्मिल जगह बनाए-क्यो ना दूसरो के दुःख दर्द बाटे , क्यो ना आस बंधाये \\ क्यो ना हम अपने से अलग पलने वाली दुनिया को अपना बनाए,क्यो ना हम उस कि साँसों में अपने गीत सजाये\\ क्यो अलग रहे हम, क्यो ना सब को अपना बनाए\\ इस दुनिया जहा मीत ना मिलते वह हम अपनी प्रीत लुटाये \\ चलो, इस दुनिया को अपना बनाए \\

Saturday, April 21, 2007

कुछ भूली बिसरी बातें |

कितनी ही बार ऐसा होता है के हम अपने काम मे उलझे होते है और अचानक कोई भुलीसी प्यारी धुन सुनायी पड़ती है, घर साफ करते हुए पुराने सामान मे कही पुराने ख़त मिल जाते है, कोई भुलासा गाना कभी राह चलते सुनाई पड़ता है ,कभी खुद कि ही लिखी कविता कही मिल जाती है और भूली यादो का सिलसिला सा जागता है ,कई अनकहे से ख़्वाब लौटते है, कई अश्क जो सुख गए थे फिर पलकें भिगोते है, कई जख्म जो वक़्त के साथ भर गए थे अचानक जागते है \ ये भूली धुन ,भुलासा गाना ,ये पुराने ख़त , ये मासूम अश्क याद दिलाते है एक खुबसुरत अतीत कि ,और होठो पर एक हलकी सी मुसकुराहट खिल जाती है \ कई बंद दरवाजे खुल जाते है, और हम अपनी ही तरफ फिर वापस लौटते है \ कितने ही सालो का फासला पल मे तय हो जाता है और कई लम्हों को फिर से जिंदगी मिल जाती है या शायद उन यादो के साथ हमारी जिंदगी लौटती है \ कितनी ही बाते जो हम ने कहने कि सोची थी ,कई ऐसे पल जिन्हे अपनी जिंदगी मे लाना चाहा था पर हक़ीकत मे ला ना सके ,वो फिर से याद आते है
और हम फिर उन्हें दोहोराते है,बस अपने आप के लिए \ ये यादे शायद हमारी ताकत बनके लौटती है ,चाहे वो हक़ीकत ना बन सकी हो \

ऐसे ही कुछ हालात बन जाते है और मन कह उठता है ----------

आवाजे लौटती है,मुसकुराहटे लौटती है,
अतीत और हमारे बीच कि जंजीरे टूटती है \
गुजरे कई साल ,कुछ पल बन जाते है,
अधूरे से कई ख्वाब फिर नजर आते है\
अनकही कई बातें खामोशी में गूंजती है,
मनचाहे कुछ अपनों को फिर नजरे धुन्धती है \\
कई गुजरे मंज़र फिर से खुद को दोहोराते है,
आज कि तनहाई में हम कल को भी तनहा पाते है \\

......................... शायद हुआ हो कभी ये आप के साथ,कुछ याद है ???

गौरी कमलाकर शेवतेकर

Friday, April 20, 2007

जिंदगी |

परवाना , परवाना नही कहलाता ,
जब तक शमा उसे जलाती नही \
जब तक दर्द का एहसास नही होता,
जिंदगी,जिंदगी कहलाती नही \\

---गौरी कमलाकर शेवतेकर.

Thursday, April 19, 2007

मेरी कविता

जीवन कि परिभाषा क्या है,
है जीने कि अभिलाषा क्या,
कभी ना रुकने वाले समय का,
हर पल है समझाता क्या? १

कौन से सुन रही मैं स्पंदन,
क्या जाग रहा अंतर्मन,
कौन से उत्तर धुंध रही मैं,
कीन प्रश्नों में घिरा है जीवन? २

आज अचानक,
महसूस हुआ जो,
क्या है ये अधूरापन? ३

वक़्त ने भी बदली है करवट,
विचारों कि बदली है गति,
अपने आप कि खोज कर रही,
भीड़ में मैं अकेलीसी ४

कोई ना जानता,कोई ना सुनता,
मेरे मन के स्पंदन को,
मैं ही अकेली देख रही हूँ,
मेरे जग-नवचेतन को !!!! ५

-----गौरी कमलाकर शेवतेकर.








कुछ रिश्ते |

जो रिश्तें दिलों को छू जाते है, उन रिश्तों को हाथों से छूने कि जरूरत नही \ होती बहुत खुबसुरती भर देते है कुछ लोग हमारी जिंदगी में-इतनी कि नजरे भी दुनिया को खुबसुरत महसूस करती है \इतनी कि पहले बदसूरत लगनेवाली दुनिया में हर तरफ खुबसुरती ,अच्छाई और रौशनी नजर आती है \ दिल को सुकून सा महसूस होता है \ क्या नाम होता है इन रिश्तों का,क्या नाम होता है उन लोगो का? होता भी है हर बार ? उनका नाम,वजूद या उस रिश्ते का नाम, ये जान ना जरूरी नही होता \उन रिश्तों को,उन लोगों को महसूस करना जरूरी है \ हर जिंदगी के लिए ऐसा एक रिश्ता,या कहिये ,रिश्ते जरूरी है \
----गौरी कमलाकर शेवतेकर.

Monday, April 2, 2007

Dream,Dream,Dream.........

Dream,Dream,Dream.Dreams transform into thoughts and thoughts into action.Real words,as we all know.
Our deeds are certainly the manifestation of our thoughts,our dreams.Many a times what we dream ,what we think and what we do to achieve what we believe in,is just the opposite of the norms,the popular beliefs and this is the time we invite a storm...storm of life,that tests our values,our beliefs, our determination.This is the time when we test ourselves,meet the reality and test our courage, our strength.
A time comes when it seems that a war is going and there is no way out.This is the time that determines our destiny.If we surrender against the harsh and the worst of life,we never get to reach the excellence,personal excellence and to accomplish what we believe in.To rise requires courage,not in thoughts but in deeds.Standing alone to become Outstanding requires strength.
We need to meet the storm face to face to stand firmly and live worthy,worthy of accomplishing our dreams because the roots of true achievement lie in the will to become the best you can become.Ceratainly,holds true for every one who dreams and thinks to convert them into reality.

Thursday, March 29, 2007

Identity

Identity.... Finding my identity. Many experiences that enriched life, many people to treasure, many from whom i learned how i must not be and many like whom i want to be. Life is a constant process of defining and redefining ourselves through relations,education and spirituality.Courage to stand our conviction,dare to go against the flow, inner conflicts and outer wars, taught me much more abt life.Life taught me how strangers become friends and help out of the way,without any expectations and how dear ones turn away. It taught me to stand my grounds and still embrace the sky,that's what i want to do.Life is about to take a new turn and i await a new beginning,that is not too far.
Much more to write,much more to share.Every moment lived honestly ,a few filled with triumph, many with blues,still more with joy and laughter.Many people who hold us dear without any reason,be kind to us for no reason and people who deserted us though we loved them and few who deceived us. Yes,will be writing all about it.
Here,I find a space to speak of my mind about people,abt experiences -good and bad , abt my world that i am trying to corelate with people around me.how's their world different than mine,how there are several versions of truth at a time??? I really find it interesting how every one perceives same thing differently!!! Understanding life as it comes to me and sharing it with you.Hope you will be a part of my journey too.